ये कैसी आग बरसती है आसमानों से
परिंदे भी लौट कर आने लगे उडानो से
कोई मुलाकात करवा दे मेरी मुझ से
मैंने देखा नहीं है खुद को जमानों से
परिंदे भी लौट कर आने लगे उडानो से
कोई मुलाकात करवा दे मेरी मुझ से
मैंने देखा नहीं है खुद को जमानों से
इन्टरनेट पर यंहा वंहा भटकते हुए... कभी कभी कुछ कविताये. कुछ छंद .. कुछ शायरियां जो भी पसदं आई.. या कुछ किताबो या किसी से सुनी हुयी.. जो भी पसंद आई.. उनका एक संकलन है यंहा.. ताकि आप सभी इसे पढ़ सके.. और इन प्यारी पंक्तियों का रस ले सके..
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