
हर पल उसके साथ बिताना, अच्छा लगता है ...
आँखों में उसका ही चेहरा, जेहन में उसकी ही बातें ...
दिल में उसके ख्वाब सजाना, अच्छा लगता है ...
ढूँढ़ते रहते हैं तारों में उसकी परछाई को ....
याद में उसकी खुद को जगाना, अच्छा लगता है ...
इन्टरनेट पर यंहा वंहा भटकते हुए... कभी कभी कुछ कविताये. कुछ छंद .. कुछ शायरियां जो भी पसदं आई.. या कुछ किताबो या किसी से सुनी हुयी.. जो भी पसंद आई.. उनका एक संकलन है यंहा.. ताकि आप सभी इसे पढ़ सके.. और इन प्यारी पंक्तियों का रस ले सके..
आँख खुलते ही ओझल हो जाते हो तुम,ख्वाब बन के ऐसे क्यों सताते हो तुम…
गमों को भुलाने का एक सहारा ही सही,मेरे मुरझाए हुए दिल को बहलाते हो तुम…
दूर तक बह जाते है जज़्बात तन्हा दिल के,हसरतों के क़दमों से लिपट जाते हो तुम…
शीश महल की तरह लगते हो मुझको तो,खंडहर हुई खव्हाईशोँ को बसाते हो तुम…
यादों की तरह क़ैद रहना मेरी आँखों मे,आँसू बन कर पलकों पे चले आते हो तुम…
तुम्हारी अधूरी सी आस मे दिल ज़िँदा तो है साँस लेने की मुझको वजह दे जाते हो तुम…
सफर में मिला था वो मुझे इक मोड़ पर
फ़िर बढ़ चला था में उसे वहीं छोड़ कर
लेकिन अब उस मोड़ पर लौटने का मन करता है
ये मुमकिन नही फ़िर भी क्यों ये दिल मचलता है
अब तो ये उम्मीद है, आए फ़िर मोड़ कोई वैसा
वो मिल जाएं फ़िर किसी दिन यूंही
उस मोड़ के इन्तजार में जाने कितने मोड़ गए गुजर
मिले कई मगर, हमसफ़र मिला न उस जैसा
प्यार किसी को करना लेकिन
कहकर उसे बताना क्या,
अपने को अर्पण करना पर
और को अपनाना क्या
गुण का ग्राहक बनना लेकिन
गाकर उसे सुनाना क्या,
मन के कल्पित भावो से
औरों को भ्रम में लाना क्या
ले लेना सुगंध सुमनों की
तोड़ उन्हें मुरझाना क्या,
प्रेम हार पहनना लेकिन
प्रेम पाश फैलाना क्या
त्याग अंक में पले प्रेम शिशु
उनमे स्वार्थ बताना क्या,
देकर हृदय हृदय पाने की
आशा व्यर्थ लगाना क्या
Harivansh rai bachchan