दुःख अपने सबको बतलाना
सच पूछो कोई खेल नहीं ...
गैर के दिल में दर्द जगाना
सच पूछो कोई खेल नहीं ..
अक्सर दिल के भावो की
चेहरा चुगली कर देता है ..
ना ना करके प्यार जताना
सच पूछो कोई खेल नहीं

माना गगन से आदित्य आज दूर है ....

पर छितिज़ में आगमन के चिह्न जरुर है .....

दूरिया हो सकती है मात्र दृष्टि भ्रम...

पर स्मृतियों में हमारा साथ जरुर है ...

तुम्हारे नेह को मैंने लगा दिया चन्दन
तुम्हारे स्नेह को मैंने बना दिया बन्धन
तुम्हारी यादो को मैंने ओड़ा और बिछाया है
इस तरह प्रीत का गीत मैंने गाया है.....

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