आँख खुलते ही ओझल हो जाते हो तुम,ख्वाब बन के ऐसे क्यों सताते हो तुम…

गमों को भुलाने का एक सहारा ही सही,मेरे मुरझाए हुए दिल को बहलाते हो तुम…

दूर तक बह जाते है जज़्बात तन्हा दिल के,हसरतों के क़दमों से लिपट जाते हो तुम…

शीश महल की तरह लगते हो मुझको तो,खंडहर हुई खव्हाईशोँ को बसाते हो तुम…

यादों की तरह क़ैद रहना मेरी आँखों मे,आँसू बन कर पलकों पे चले आते हो तुम…

तुम्हारी अधूरी सी आस मे दिल ज़िँदा तो है साँस लेने की मुझको वजह दे जाते हो तुम…

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