सफर में मिला था वो मुझे इक मोड़ पर
फ़िर बढ़ चला था में उसे वहीं छोड़ कर
लेकिन अब उस मोड़ पर लौटने का मन करता है
ये मुमकिन नही फ़िर भी क्यों ये दिल मचलता है
अब तो ये उम्मीद है, आए फ़िर मोड़ कोई वैसा
वो मिल जाएं फ़िर किसी दिन यूंही
उस मोड़ के इन्तजार में जाने कितने मोड़ गए गुजर
मिले कई मगर, हमसफ़र मिला न उस जैसा

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